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Book Detail

Bhutapurva Rajnaitika Kaidi Tangana Gigmeda Sangpo ke Jivan ke Anubhava

ISBN NO :9789383441709

SKU CODE: LTWA_9789383441709

BRAND :Library of Tibetan Works & Archives

Rs.165.00

Bhutapurva Rajnaitika Kaidi Tangana Gigmeda Sangpo ke Jivan ke Anubhava

राजनीतिक कैदी तागना जिग्मेद सांगपो पिता कनिष्ठ तागना सोनम छेवांग तथा माता कर्मा छोडोन के पुत्र थे। इनका जन्म वर्ष 1927 को ल्हासा के पश्चिमी क्षेत्र छुशुल जनपद में हुआ। वर्ष 1952 में 26 साल की उम्र से ल्हासा के प्रथम प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक का कार्य किया और लगातार कई वर्षों तक माध्यमिक विद्यालय में भी कार्यरत रहे। वर्ष 1965 में पहली बार तीन वर्षों के लिए जेल गये। पुनः वर्ष 1970 में दस वर्षों के लिए जेल की सजा हुई। वर्ष 1983 में एक बार फिर वे जेल भेज दिये गये और इस बार सजा सबसे लम्बी पन्द्रह वर्षों की थी।

वर्ष 1988 में जेल के भीतर तिब्बत की स्वतन्त्रता के लिए आवाज उठाने एवं नारेबाजी करने के कारण उनकी सज़ा की अवधि पाँच वर्ष के लिए बढ़ा दी गयी। वर्ष 1991 में स्विटजरलैण्ड से मानवाधिकार संगठन से सम्बद्ध चार व्यक्तियों के एक दल द्वारा जेल में निरीक्षण के दौरान उन्होंने विरोध में आवाज उठायी और नारेबाजी की थी जिससे सजा-सीमा एक बार फिर से आठ वर्ष के लिए बढ़ा दी गयी। इस प्रकार उन्हें बत्तीस वर्ष जेल में रहना पड़ा जिसके कारण वे जेल की सज़ा काटने वाले सबसे लम्बी अवधि के राजनीतिक कैदी हो गये। इस दौरान उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से असह्य यातनायें एवं अत्याचार सहनी पड़ीं। वर्ष 2002 में रोगोपचार के नाम पर उन्हें अमेरिका भेजा गया और इस समय वे स्विटजरलैण्ड में रह रहे हैं।

ISBN-10 ‏ : ‎ 9383441704

ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9383441709

Description

Bhutapurva Rajnaitika Kaidi Tangana Gigmeda Sangpo ke Jivan ke Anubhava

राजनीतिक कैदी तागना जिग्मेद सांगपो पिता कनिष्ठ तागना सोनम छेवांग तथा माता कर्मा छोडोन के पुत्र थे। इनका जन्म वर्ष 1927 को ल्हासा के पश्चिमी क्षेत्र छुशुल जनपद में हुआ। वर्ष 1952 में 26 साल की उम्र से ल्हासा के प्रथम प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक का कार्य किया और लगातार कई वर्षों तक माध्यमिक विद्यालय में भी कार्यरत रहे। वर्ष 1965 में पहली बार तीन वर्षों के लिए जेल गये। पुनः वर्ष 1970 में दस वर्षों के लिए जेल की सजा हुई। वर्ष 1983 में एक बार फिर वे जेल भेज दिये गये और इस बार सजा सबसे लम्बी पन्द्रह वर्षों की थी।

वर्ष 1988 में जेल के भीतर तिब्बत की स्वतन्त्रता के लिए आवाज उठाने एवं नारेबाजी करने के कारण उनकी सज़ा की अवधि पाँच वर्ष के लिए बढ़ा दी गयी। वर्ष 1991 में स्विटजरलैण्ड से मानवाधिकार संगठन से सम्बद्ध चार व्यक्तियों के एक दल द्वारा जेल में निरीक्षण के दौरान उन्होंने विरोध में आवाज उठायी और नारेबाजी की थी जिससे सजा-सीमा एक बार फिर से आठ वर्ष के लिए बढ़ा दी गयी। इस प्रकार उन्हें बत्तीस वर्ष जेल में रहना पड़ा जिसके कारण वे जेल की सज़ा काटने वाले सबसे लम्बी अवधि के राजनीतिक कैदी हो गये। इस दौरान उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से असह्य यातनायें एवं अत्याचार सहनी पड़ीं। वर्ष 2002 में रोगोपचार के नाम पर उन्हें अमेरिका भेजा गया और इस समय वे स्विटजरलैण्ड में रह रहे हैं।

ISBN-10 ‏ : ‎ 9383441704

ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9383441709

Book Specifications

ISBN NO 9789383441709
Product code LTWA_9789383441709
Weight 210 GM
Size In Cm. 22 cm X 15 cm X 1.2 cm
Binding Paperback